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तपपदना पचास भेदोना नमस्कार पदोना अर्थ ॥ (१४५) १२ स्त्री पशु नपुंसकादिरहित वसतिमा रहेवा रूप सं
लीनता स्वरूप बाह्यतप. १३ आलोयणप्रायश्चित्त (गुर्वादि समक्ष करेला पा
पर्नु आलोवQ ) स्वरूप अन्यन्तर तप, १४ प्रतिक्रमणप्रायश्चित्त (ईर्यावहि पडिक्कमवी मिच्छामि दुक्कडं देवाथी पाप, प्रतिक्रमण ) स्वरूप
अभ्यन्तर तप, १५ उभयप्रायश्चित्त ( आलोयण तथा प्रतिक्रमण
बे करवा.) स्वरूप अभ्यन्तर तप, १६ विवेकप्रायश्चित (अकल्प्य अन्नपानादि परठववा
ते) स्वरूप अभ्यन्तर तप, १७ कायोत्सर्ग प्रायश्चित्त ( काउस्सगमा रही अमुक
लोगस्स विगेरे गणवा) स्वरूप अभ्यन्तर तप, १८ तप करवारूप प्रायश्चित्त ( नीवी पुरिमढ आदि - तप करवो) स्वरूप अभ्यन्तर तप, १९ छेद करवारूप प्रायश्चित्त (अमुक दीक्षापर्याय
घटाडवो) स्वरूप अभ्यन्तरतप,
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