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(६८) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ ४ अमृतसरखा मधुरवचनवान् ते मधुर वाक्य गुण. ५ समुद्र सरखा गंभीरता गुणवान्० ते गाम्भीर्य गुण, ६ उत्तमबुद्धिनिधान धैर्यतावान्० ते धैर्य सुबुद्धि गुण. ७ उपदेश देवामां हमेशां परायण० ते उपदेश तत्परता
गुण,
८ जेमने निवेदन करेली गुह्य वात होठ बहार जाय
नहि ते अपरिश्रावि गुण. ९ चन्द्र समान सौम्य शीतल स्वभाववंत० ते सौम्य
प्रकृति गुण. १० गच्छ हितने माटे जोइतो संग्रह करवाने स्वभाव
वंत० ते संग्रहशीलता गुण. ११ द्रव्य क्षेत्र काल भावथी विविध अभिग्रहधारी
होय ते अभिग्रह गुण. १२ आत्मश्लाघा नहि करनार ते अविकत्थक गुण. १३ पर्वत सरखा चलायमान थाय नहि ते अचल स्थि
रता गुण.