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श्री सम्यग्दर्शनपदाराधन छठा दिवसतुं कर्त्तव्य.
श्री सम्यग्दर्शन माहात्म्य तथा गुणविचार.
श्री सर्वज्ञ भगवंते प्रतिपादन करेला जीव, अजीव, पुण्य पाप, आश्रव, संवर, बंध, निर्जरा, मोक्ष ए नवे तत्त्वो, षद्रव्यो, चार निक्षेपा, सप्तनय प्रमाण सप्तभंगी,द्रव्य क्षेत्र काल भाव आदि तमाम पदार्थोनी श्रद्धामय अनन्तानुबन्धी ४ तथा मिथ्यात्वमोहनीयादि दय क्षयोपशम उपशमीज प्रगट थयेल निर्मल आत्मपरिणाम स्वरूप, ज्ञान चारित्रादि सकल आस्मगुणोनो पायोश्रीसम्यग्दर्शन रूप आत्मधर्म अनेक स्वरूपो पैकी ६७ स्वरूपोए जीवोना सात्त्विक आनन्द रूप उपकार गुणे ध्यान-जाप करवा योग्य छे. एक. बाजु लौकिक लोकोत्तर सर्वधों एकत्रित करो अने एक बाजु एकलुं सम्यग्दर्शन मुको पण सम्यग्दर्शन