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(१२८) नवपद विधि विगेरे संग्रह ।। ४ सर्वथा मैथुन (कामविकार) विरमण (त्याग) रूप
महावतस्वरूप चारित्र. ५ सर्वथा परिग्रह [धन धान्यादि संबंध तथा मूर्छा
विरमण [त्यागरूप] महावतस्वरूप चारित्र, ६ सम्यकप्रकारे क्षमा (क्रोध न करवारूप ) धर्म
स्वरूप चारित्र, ७ सम्यकप्रकारे मृदुता [ कोमलता माननाअभाव
रूप] धर्मस्वरूप चारित्र, ८ सम्यक्प्रकारे ऋजुता (सरलता मायाना अभाव
रूप) धर्मस्वरूप चारित्र. ९ सम्यकप्रकारे मुक्ति (लोभना अभावरूप) धर्मस्व
रूप चारित्र, १० सम्यकप्रकारे बाह्य अभ्यन्तर बार भेदे तप धर्म
स्वरूप चारित्र, ११ सम्यकप्रकारे सत्तरप्रकारना संयम धर्मस्वरूप चारित्र १२ सम्यक्प्रकारे सत्य बोलवारूप धर्मस्वरूप चारित्र,