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(७०) नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ २५ शरीरादि सर्व अनित्य जे ते अनित्यत्व भाव___नाभावितत्व गुण. २६ मात पिता विगेरे कोइनुं पण शरण नथी ते अश___ रणत्वभावनाभावितत्व गुण. २७ चतुर्गति संसार केवल दुःखनी खाण छे विगेरे ___ संसारभावनाभावितत्व गुण. २८ जीव एकलो आव्यो छे एकलो जाय छे एकलो
कर्म बांधे छे, भोगवे छे विगेरे एकत्वभावना० गुण. २९ शरीरादि बाह्य वस्तुथी आत्मा भिन्न छे तेवी
अन्यत्व भावना० गुण. . . ३० मलमूत्रनी खाण शरीर अशुचिनो भंडार ले तेवी
अशुचित्व भावना० गुण. ३१ मिथ्यात्व अविरति कषाय अने योग विगेरे कर्म
आववाना मार्ग छे ते आश्रव भावना० गुण, ३२ समिति गुप्ति आदि कर्म अटकाववाना मार्ग ले
ते संवर भावना० गुण.