Book Title: Nandanvan Kalpataru 1999 00 SrNo 01
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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श्रीशान्तिनाथजिनगीतिः॥
शान्तिप्रभो! शान्तिं कुरु
सर्वाशिवानि निराकुरु भवदावशतशिखपावके बहुदग्धदेहोऽहं श्रये करुणासुधाब्धिं त्वां द्रुतं शान्तिप्रभो! शान्तिं कुरु.....१
बहुदोषबब्बुलकण्टिकायां स्वं स्वयं प्रक्षिप्तवान्
उद्धर ततो मां पीडयाऽऽर्त हे प्रभो! शान्तिं कुरु.......२ दुानदानवविकटवक्त्रे मस्तकं न्यस्तं मया निहतोऽस्मि देव! सुरक्ष मांशान्तिप्रभो! शान्तिं कुरु...३
दुर्दम्यप्रसृमरसुमतिघस्मरस्मरविकारमहोदधौ
पतितो म्रिये तारय झटिति शान्तिप्रभो! शान्तिं कुरु....४ मम शमय दोषान् रमय मयि सुगुणान् विभो! करुणानिधे! अथ दमय मम दुःशीलतां शान्तिप्रभो! शान्तिं कुरु....५
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