Book Title: Nandanvan Kalpataru 1999 00 SrNo 01
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 34
________________ Jain Education International ॥ परमगुरु- तातपाद - गीतिः ॥ वन्दे ने मिसूरिमहाराजं वन्दे जिनशासनसम्राजम् जगद्वन्द्यचरणं शुभकरणं मम शरणं गुरुराजम्. बाल्याद् ब्रह्मव्रतधरमनुपम मनिन्द्यचरितभ्राजम्... .२ तपोगच्छगगनाभोगे किल परमार्थैककरणपटुकरणं तिग्मदीप्ति-दिनराजम्.. .३ १ करुणाकरमव्याजम्.. .४ तीर्थोद्धारैः स्वात्मोद्धारं कृत्वा निजसुखभाजम्....५ सत्त्वशीलमुत्तमगुणलीलं नाशितदोषसमाजम्. .६ २७ For Private & Personal Use Only - विजयशीलचन्द्रसूरि : www.jainelibrary.org

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