Book Title: Nandanvan Kalpataru 1999 00 SrNo 01
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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श्रीमल्लिनाथजिनगीतिः॥
वन्दे मल्लिं मङ्गलवल्लिं
मल्लिं विजितकामभरपल्लिं घनकुचयुगभारावनताङ्गां विच्छायितरतिरङ्गाम्
मरकतमणिसन्निभछविचङ्गां पुनितामिव सुरगङ्गाम्......१ स्त्रीदेहेन न मोक्षावाप्ति-रिति सिद्धान्तितमितरैः स्वीयार्हन्त्येनैव निरस्तं तत्रभवत्या तदरे! .......२
कुम्भनृपतिनन्दन! कुम्भाङ्कितपदपङ्कज! गुणकुम्भ!
भव्यानामतिकामकुम्भ हे! वर्षय मयि करुणाम्भ: ......३ विशदशीलमण्डितनिजचरितैः प्रतिबोधितषड्भूपे! मल्लिस्वामिनि! मां भवकूपा-दुद्धर शक्तिस्वरूपे! ....४
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