Book Title: Mukti ka Amar Rahi Jambukumar Author(s): Rajendramuni, Lakshman Bhatnagar Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay View full book textPage 6
________________ आमुख साधना, त्याग एव तपस्या की भूमि भारतवर्ष में समय-समय पर मानवता के रक्षक और सद्गुणो के प्रेरक अनेक महात्मा अवतरित होते रहे है । इन सन्तो, महर्पियो और चिन्तको ने युग की आवश्यकताओ के अनुरूप नये-नये आदर्शों एव सिद्धान्तो का अनुसन्धान किया है, और लोकमण्डल मे उच्च कोटि के योगदान के लिए मानव-इतिहास मे उन्हे अमर ख्याति का लाभ हुआ है । भटकी मानवता को उनके सन्देशो ने युग-युगो तक सन्मार्ग का सकेत किया है। उनके ये सन्देश भारत की प्रमुख आध्यात्मिक एव सास्कृतिक धारा मे मिलकर इस धारा को अधिकाधिक समृद्ध एव सशक्त करते चले गये है। हमारी सस्कृति की एक अनन्य विशेपता है-उसकी अजस्रता। इस धारा का सतत प्रवाह अटूट रूप से चला आया है । यही कारण है कि हमारी सस्कृति को अमरत्व प्राप्त हुआ है । इस अमरता के पीछे आदर्शों के उन्नायको के साथ-साथ उन उद्योगियो का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिन्होंने अपने-अपने समय मे उन आदर्शों का व्यापक प्रचार किया, उन्हे जन-जन तक पहुंचाने के पुण्यकार्य मे जिन्होने अपना समग्रजीवन लगा दिया । ऐसे ही महापुरुष उन सिद्धान्तो को व्यापक जनहित की क्षमता प्रदान करते है। भगवान महावीर स्वामी के सर्वग्राह्य मानवीयPage Navigation
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