Book Title: Muhurt Chintamani Satik
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथनिषिडलग्नमनुष्टुभाह कुंभकुंभांशकेतिसष्टार्थः 43 अथान्यन्मंजुभाषिण्याह अथमानलपा इति मानलग्नेलग्नांतरेवामानांशकेचलितराजोवर्मपक्रस्यात् जनानि जनिर्जन्मकालीनंलग्नजन्म भंजन्मराशिनयोर्जन्मलग्नराश्योपत्तास्वामिनौवभयहौसौम्पयहाँचेदुदयलम्नेभवनस्तदागमोगमन शमस्या जन्मलग्नजन्मराशिश्चयात्रालग्नगंशममिनिषागेवाभिहितम् जननराशिननूयदिलग्नगइ|| नि भज्जन्मलग्नजन्मराशिस्वामिनीपापग्रीयदियात्रालग्नेस्यातांतदातादृशेलग्नेगमनमशुभफल मित्यर्थः वसिष्ठः जन्मराशौलग्नगतेतदाशेवाविलग्नगे अभीष्टफलदायात्राराशाशश्वेच्छुभयह रहना कुंभकुंभांशकौत्याज्यौसर्पयायननोबुधः नत्रपयातुपतेर्थनाशःपदेप दै अथमानलग्नतवानदंशकेचलित्स्यवमिहवमजायते जनि लग्नजन्मभपतीशाग्रहोभवनसदातदुदयेशुभोगमः 14 जन्मराशित नुतोष्टमेथवास्वारिभारिपुतनुस्थिते रदेनजन्मराश्यगमेनैवजन्मलग्नोदयः / भनयोरुपचयस्थानंयदिलग्नग शामिति जन्मराशिर्यावालग्नेनिषि-उक्त सजन्मराशे पापग्रहस्वामिवेजेय शास्वामिलेपायुक्तवसिष्ठवाक्यं स्वरसंस्थात् एवंजन्मलग्नोदयः शभरत्यवापिजन्मलग्न ||स्पशास्वामित्वेशभफलनालपापस्वामिलेरनिव्यारव्येयम् 44 अथान्यद्रथोड्नयाह जन्मराशिननु तइनि स्वजन्मराशेर्जन्मलग्नाचवाऽष्टमेराशौलग्नस्थितेसतितथारिभाजिगमिषितरावो दाशेल For Private And Personal Use Only

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