Book Title: Muhurt Chintamani Satik
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 314
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुरी ||| पसंमुखः शक्रःसंमुखोबुधःसंमुरचोदिकस्वामीललादी गुवकतादि आदिशब्दात क्षाणलास्ता मिनत्वपराजितबबाल्यादिकम् बास्तनाचेत्कतम् परिघाख्यदंड पूर्वादिषुचतुर्दिविकतःस्या लुजायशोचम् स्पस्त्रीमतुजंआर्नस्नानकालपर्यतं आशौचंजननाशोचंमरणाशोचंच उत्सवोदीपो सवः आदिशब्देन विवाहबनबंधादिरिति 110 अन्यदपिमंजुभाषिणीछंदसाह मृतपक्षेति मनःपक्षः तमोफक्ततारा:स्मृनाविश्वसंख्याइत्याधुनःरिक्तरविनर्क सरग्यकाः चतुर्थाननमाचतुर्दशीवादशोषध्यस्तिथयः उपलक्षणखादष्टमीपूर्णिमामावास्याशक्लपतिपदः सोरिभीमरविवारा: वामपृष्ठगी मृतपक्षरिक्तरवितर्कसंख्यकास्तिययनसौरिरविभौमवासरः अपिवामपृष्ठगविधुत्थाडलोवरूपंचकाभिजिदथापिदक्षिणे 111 लग्नेजन्मक्षवलोमृतिगृहमाहितांचषष्ठतदीशावालग्ने कुंभमानःनवलवतनूचापिपृष्ठोदयच विधुः अजरषामिकनकुलीरार त्यादिजानकोत्तयावामपृष्ठराशिगतः आउलोरवेत्तोञ्जभोम्पितिरिति श्चमणमपिज्ञेयम् वरूप चयनिष्ठोत्तराइसिंचनक्षत्राणि अभिजिन्मुहूर्तश्चदक्षिणेवचएनेपंचांगदोषा: 1 अथलग्नदोषा सन्धरयाह लग्नेरनि जन्मराशेर्जन्मलग्नाहा एमगृहेअहिताछत्रुजन्मराशेर्जन्मलग्नााषष्ठम् | 155 जन्मलग्नंयागालग्नेनदीशाः तेषांजन्मराशिजन्मलग्नाभ्यामष्टमभवनयोःस्वामिनः रिपुजन्मराशिजन्म For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355