Book Title: Muhurt Chintamani Satik
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Page 324
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सु-टी- नराई।७.७॥35॥5-15-1-1-315७७ सामान्यलक्षणमप्यनुसंधेयमविशेषलक्षणस्यसामान्यलक्षा धानखानानधनेमानेझवमूर्ध्वमुखपथमंगृहम् धान्यपूर्वहारंदिनीयंजयंदक्षिणहारननीयमानंदमार दक्षिणदारंचतुर्थमवरंपनिमारंपंचमम् क्रांतपापश्चिमहारंषष्ठम मनोरमंदक्षिणपश्चिमहारंस ||प्तमम् सावकंपारदक्षिणपश्चिमहारमष्टममहर्मुरवमुत्तरारंनवमंजूरंपूर्वोत्तरदारंदशममरिपुदंदक्षि णोत्तरहारमेकादशमभक्तिदंपूर्वदक्षिणोत्तरद्वारद्वादशम् नाशारत्यपश्रिमोत्तरदारं त्रयोदशम् आकं दमापचिमोत्तरदारचतुर्दशविपुलारबंदक्षिणपश्चिमोत्तरद्वारपंचदशमलवजयचतुर्दिकवारंषोडशम रिपुदंवित्तदनाशेचाकंदविपुलं विजयायस्यात् . पिंडेनवांकांग मजाग्निनागनागाधिनागैगुणिते क्रमेण विभाजितेनागनगांकसू र्यनागर्भनिय्यक्षखभानुभिश्च 1 . इनि: अधकेषांचिन्मनेनगृहस्थाचादिनवकम जातिका पथ्यावसारख्यायामाह पिंडरति आयइनि पिंडे क्षेत्रफ्लेनवधास्थापितकमेणनवादिरंक गणितेक्रमेणनागादिभिरंकैर्भक्तेचसनियदवशिष्टंनदायादिकंस्यात् यथा क्षेत्रफलंनवनिर्गणितंअष्टभितंशिष्टमाय स्यात्नयथापिंडः२०३ नवगुणिनः२७ अष्टभक्तेशेषम् सिंहायोजातः एवंसंच 160 प्यानीता रमेवारस अंशक:५व्यम् / ऋणम् नक्षत्रं 4 रोहिणीतिथिश्यतु ।योगःपीनिः आ-|| For Private And Personal Use Only

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