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स्थापन मुद्रा
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तदेव तर्जनीमूलसंयुक्तांगुष्ठद्वयांवाङ्मुखस्थापनमुद्रा । अर्थ : आह्वानमुद्रा के समान ही दोनों हाथों की तर्जनी अंगुली के मूल में दोनों अंगुष्ठों को स्थापित कर उसको अधोमुख [ उल्टा ] करना स्थापनमुद्रा ।
उपयोग : आराध्यदेव तत्त्व की स्थापना ।
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