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अंगुष्ठ - लिङ्ग मुद्रा
दोनों हाथ की अंगुलियों को परस्पर एक-दूसरे में फंसाना, Left अंगुष्ठ को सीधा रखना ओर पीछे से Right अंगुष्ठ से दबाना तथा अंगुलियों का भी Pressure देने से बनती है। अर्थ : स्मरणशक्ति बढ़ती है। मानसिक विचारों में परिवर्तन आता है। उपयोग : पाचनशक्ति बढाने में शरीर सुडोल बनाने में, सदाचार पालनमें शक्ति की प्राप्ति ।
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