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तत्त्वज्ञान मुद्रा
बोधिसत्त्वज्ञान मुद्रा
बायें हाथ की पृथ्वी मुद्रा हृदय के पास दायें हाथकी (अंगुष्ठ और अनामिका के ज्ञान मुद्रा करके बायें हाथ अग्रभाग को मिलाना) तथा की ज्ञानमुद्रा करके हृदय दायें हाथ की ज्ञान मुद्रा पर रखकर दोनों हाथ का (तर्जनी और अंगुष्ठ के अंगुष्ठ और तर्जनी एक अग्रभाग को मिलाना) दूसरो से मिले उसी तरह करके दोनों घुटन पर हाथ रखने से बोधिसत्त्वज्ञान रखने से तत्त्वज्ञान मुद्रा होती मुद्रा बनती है।
लाभ : ज्ञान मुद्रा के सभी लाभ लाभ : ज्ञानमुद्रा के सभी लाभ | तथा भावो में परिवर्तन,
तथा तत्त्वज्ञान प्राप्ति । ध्यान में प्रगति होती है।
है।
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