Book Title: Maro Swadhyaya
Author(s): Divyaratnavijay
Publisher: Shraman Seva Parivar

View full book text
Previous | Next

Page 236
________________ तत्त्वज्ञान मुद्रा बोधिसत्त्वज्ञान मुद्रा बायें हाथ की पृथ्वी मुद्रा हृदय के पास दायें हाथकी (अंगुष्ठ और अनामिका के ज्ञान मुद्रा करके बायें हाथ अग्रभाग को मिलाना) तथा की ज्ञानमुद्रा करके हृदय दायें हाथ की ज्ञान मुद्रा पर रखकर दोनों हाथ का (तर्जनी और अंगुष्ठ के अंगुष्ठ और तर्जनी एक अग्रभाग को मिलाना) दूसरो से मिले उसी तरह करके दोनों घुटन पर हाथ रखने से बोधिसत्त्वज्ञान रखने से तत्त्वज्ञान मुद्रा होती मुद्रा बनती है। लाभ : ज्ञान मुद्रा के सभी लाभ लाभ : ज्ञानमुद्रा के सभी लाभ | तथा भावो में परिवर्तन, तथा तत्त्वज्ञान प्राप्ति । ध्यान में प्रगति होती है। है। .41. Ein Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244