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धेनु - सुरभि मुद्रा - (ऊर्ध्वमुख)
अर्थ : सौभाग्य मुद्रा की तरह बनेगी मुख उपर की ओर करना । उपयोग : आकाशतत्त्व को जीवंत करना । यह मुद्रा धार्मिक परंपरा
के अनुष्ठान में प्रयुक्त है। अनुष्ठान के अनुरूप त्रिविभाग है। गोस्तन आकार में बनती है। मुद्रा करते वक्त अमृतदुग्धका प्रवाह प्रवाहित हो रहा है ऐसी कल्पना करना।
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