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अवगुण्ठन मुद्रा
शिरोदेशमारभ्याप्रपदंपार्श्वभ्यां तर्जन्यो भ्रमणमवगुंठनमुद्वदेत्येके ।
अर्थ : मस्तक के मूलभाग से लेकर पाँव तक, शरीर के दोनों पार्श्वो में अर्थात् दोनों तरफ दोनों तर्जनी अंगुलियों का भ्रमण करवाना अवगुंठन मुद्रा है ऐसा कुछ जन कहते है ।
[Note- इस मुद्रा को सही रूप में चित्र के माध्यम से समझना पाना असम्भव है फिर भी वर्तमान में प्रसिद्ध अवगुण्ठनमुद्रा का Phota दिया है] उपयोग : दुष्टतत्त्व-शक्तियों का नियंत्रण ।
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