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संनिरोध-निष्ठुर मुद्रा
संलग्न मुट्ठीवाले दोनों अंगुष्ठो को भीतर की ओर करना संनिरोध
[निष्ठुर] मुद्रा है। उपयोग ः आमंत्रित आराध्य को अनुष्ठान पर्यंत अवश्यमैव स्थिरता हेतु
आज्ञा ।
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