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परमेष्ठी मुद्रा - (२)
यद्वा वामकरांगुली - रूर्ध्वकृत्यमध्यमां मध्ये
कुर्यादिति द्वितीया ।
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51015
জम
अर्थ : बाँये हाथ की अंगुलियों को ऊपर की ओर करके मध्यमा अंगुली को हथेली के मध्य में करना दूसरी परमेष्ठी मुद्रा है
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उपयोग : पंचपरमेष्ठी के गुणों की प्राप्ति, यह मुद्रा में नवकारमंत्र स्मरण करने से गुणों का विकास ।
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