Book Title: Mandira Sati Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Lala Shivkarandasji Arjundas

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Page 6
________________ बादी मंत्रीवरुरे लाल । राज धुरंधर तेह हो श्रो० ॥ राजा प्रजा मन मोहवतोरे लाल बुद्धि निध्यान गुण गेह हो श्रो० ॥ शील ॥ ५ ॥ धर्मी दानी बहु गुणीरे लाल || नगरी तणा नर नार हो श्रो० ॥ पंगू परधन हरणनेरे लाल । अंध निरखण परदार हो श्रो ॥ शील || ६ || राजा परजा सहू पुण्यथीरे लाल । विलसे इच्छित सुख हो श्रो ॥ तोषे निज आत्मारे लाल । दाने गमावे पर दुःख हो श्रो० ॥ शील ॥ ७ ॥ मदन रेखा राणी एकदारे लाल । सूती सुख सेज मझार हो श्रो० ॥ देव भवन अवलोकीयोरे लाल, ।। शिखर बन्ध मनोहार हो श्रो० || शील ॥ ८ ॥ तुर्त ते हर्षित हीयेरे लाल || प्रितम पासे आय हो श्रो० ॥ सुखे निद्रा विसर्जन करीरे लाल || नरमी स्वप्न जणाय हो श्री० || शील ॥ ९ ॥ पूल होसी कुल मन्डणोरे लाल । कहे नरिन्द सत्कार हो श्रो० ॥ अनन्दी अंगना सुणीरे लाल । नमन करी तेवार हो श्रो० ॥ शील ॥ १० ॥ निज सद ने आइ फिरीरे लाल । धर्मिन दासी परिवार हो श्रो० ॥ निद्रा दुस्वप्न निवारवारे लाल जागरण कियो तेवार हो श्री० ॥ शील ॥ ११ ॥ करे यत्ना सहू गर्भकीरे लाल । दोषण सगला टाल हो श्रो० ॥ तीजे मासे ऊपनारे लाल । डोहला पुण्य विशाल हो श्रो० ॥ शलि ॥ १२ ॥ दान दीजे शील पालीयोरे लाल | सुख दीजे सहू तांय हो श्रो० ॥ ते १. परस्त्री

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