Book Title: Mandira Sati Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Lala Shivkarandasji Arjundas

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Page 17
________________ । ए निश्चय मुझ हालरे ॥ होण ॥ १३ ॥ राजा अने कुँवरी भणीरे । समजावे सपला म. स. लोकरे ॥ एकतो छोडो हट्ट भणीरे । न करो अयुक्त थोकरे । होण ॥ १४ ॥ छोरु कू छोड ७ । हुवेरे । मावित्र कू मावित्र न थायरे ॥ वोली २ ने ऊपररे । अनर्थ म करो म्हारायरेश। ॥ होण ॥ १५ ॥ कोगतुर राजा भणेरे । चुप रहो सहू ए वाररे । एह छे एहवी चन्डा-al लणारे । द्रुमक इणरा कर्म मांयरे ॥ होण ॥ १६ ॥ वयण सुणी इम गयनार । मन्दिरा तत्क्षिण जायरे ॥ कर गृह्यो कुष्टी तणोरे । जरा नहीं अंबकायरे ॥ होण ॥ १७ ॥ भिख्यारी दुरो हटेरे । किस्यो करुं हु तुज व्यायरे ॥ एक पेट दुर्लभ भरेरे । तुजन पोपू साना उगयर ।। होण ॥ १८॥ राजा कहे डरे मतीरे । ए थइ था। नाररे ॥ चाकरी पूरी कराविजेर । राखी जे आज्ञा में माररे ॥ होण ॥ १९ ॥ वस्त्र भूषण कुँवरी तणारे । भट पाता नप उतरायरे ॥ कुँवरी पोताना हाथीरे । उतारी न्हाख्या तिण ठायरे ॥ होण ॥ १९ ॥ N लज्जा ढकण जोग राखीयारे । जमाइने कंबल दयर ॥ जावो शिघ्र ग्राम वाहीरेरे । कोपा वडयो राय केयरे ॥ होण ॥ २१ ॥ आगे कुष्टी पाछे मन्दिरारे ॥ चाल्या दम्पती तस्का लर ॥ हो तब ता जिम नीपजेरे । अमोल कही पंचम ढालरे ॥ होण ॥ २२ ॥ ॥ दुहा Men हाहा कार मचीयो अति । रोवे सहेल्या मात ॥ धिक्कारे केइ राय ने । कर कुँवरी कू ब

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