Book Title: Mandira Sati Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Lala Shivkarandasji Arjundas
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खांडो भाजन मृतिका तणोरे । करमे लेइ मांगे भीखरे || रक्त सींचे मार्ग चालनार दुगंछ निक प्रतिक्षरे || होण || ४ || नृप को जिसडो मिल्यो । गृह्य तस भट हर्षायरे || ते चमक्यो जोइ सीपाइने रे । कहे नरमी घरायरे || होण || ५ | किम विन गुन्हे मुझने घरीरे । खेची ले जावो किण ठामरे || भट कहे डरे मत तूं जरारे । तूठा थारे पर जग श्वामरे || होण || ६ || राजा साहेव बोलवाइरे । कुँवरी तुजने परणायरे || सुख पासी तूं सहू परेरे । इम कही ताणी ले जायर || होण ॥ ७ ॥ ते तागी तस कहे आ नहींरे । किम करो म्हारी हाँसरे || गरीब सतावो विन् कारणरे । न्हाखवा धारो किसी फासरे || होण || ८ || भट समजावे मिठास थीरे ॥ मिथ्या मत जाण हम केणरे || सच्ची राम पुली तुज भणीरे । वरती जातां ही तत्क्षेगर || होण || ९ || भक्षक सत्य समाने नहींरे । छूट्टी ने भागण चढ़ायरे || धक्का देइ २ लावीयर । राय शभा रे मांयरे || होण ॥ १० ॥ जोइ रूप राजा हर्षियोरे । मंदिरा भणी बुलायरे ॥ ते आइ तत्क्षिण राजा कनेरे । माता रोकी ते नहीं रहायरे ॥ होण ॥। ११ ॥ भूपत कहे समजाय नेरे मान म्हारी तूं बातरे || छोडी दे हठ तूं थायरोरे | म्हारोइ धार्यो थातरे || होण ॥ १२ ॥ कुँवरी कहे धायें मुनुष्य कोजी । हांवे नहीं वि कालरे || पूर्व संचित पर होवती जी

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