Book Title: Mandira Sati Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Lala Shivkarandasji Arjundas

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Page 7
________________ सहू पूरे राजेश्वरुरे लाल । सवा नव मांस बीत्याय हो श्रो० ॥ शील ॥ १३ ॥ शुभ लग्ने - खण्ड? म. स. प्रसवी तदारे लाल । कंन्या सूरूप दिव्य काय हो श्रो० ।। दासी वधाइदी रायनेरे लाल । संतोषी राय तिण ताय हो श्रो० ॥ शील ॥ १४ ॥ जन्म उत्सव कियो रीत ज्यूरे लाल IN चारों आहार निप जाय हो श्रो० ॥ जिमायो परिवारनेरे लाल । स्वप्न अनुसार नामा Nठाय हो श्रो० ॥ शील ॥ १५ ॥ “मन्दिरा कुँवरी” सुण हर्षियारे लाल । चिरंजीवो देव आशीष हो श्रो० ॥ सह जन हर्षी घरे गयारे लाल । बाइ वदे ज्यों पति' निश हो श्रो० | १ चंद्र Hशील॥१६॥ वाल क्रिडा तणे विपरे लाल । माता प्रेम जणाय हो श्रो० ॥ नवकार आदि २ सिखावाइरे लाल । अपशब्द नाही वदाय हो श्रो० ॥ शील ॥१७॥ अचीर्ण अनीती तजावतीरे लाल । चलावती नीती मय हो श्री० ॥ कू संगे नाही पठावतीरे लाल । लघुवयो। सुज्ञते थाय हो श्रो० ।। शील ॥ १८ ॥ विज्ञान वय जब प्रगमीरे लाल । तब सुसाध्वी पास हो श्रोत० ॥ धर्म ज्ञान अर्थ युक्तिथीरे लाल । खांत करायो अभ्यास हो श्रो० ॥ शलि ॥ १९ ॥ सामायिक प्रति क्रमणोरे लाल । मार्गणी द्रव्य प्रमाण हो श्रो। नया निक्षेप क्रिया तत्वनीरे लाल । हुइ परमार्थ की जाण हो श्री० ॥ शील ॥ २०॥ चौसठ। Vaकला त्रिया तणीरे लाल । सीखी संसारिक तेह हो श्रो० ॥ प्रथम ढाल. गुण गृहण की

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