Book Title: Maisor Prachya Koshagarastha Likhit Sanskrit Granth Suchi
Author(s): M S Basavalingayya, T T Srinivasgopalachar
Publisher: Oriental Library

View full book text
Previous | Next

Page 735
________________ DESCRIPTIVE CATALOGUE OF SANSKRIT MSS. No. 632 (C 464). * सन्ध्यावन्दनमन्त्रभाष्यम्. * Sandhyāvandanamantrabhāsyam. Author--Vidyaranya. Letters in a line-28. Substance-Paper. Age of Ms.-Old. Size-81x51 inches. Condition of Ms.--Good. Correct or incorrectCharacter-Telugu. ___Correct. Folios-13. Complete or incompleetLines on a page-20. Incomplete. उपक्रमः आपोहिष्ठेति नवर्चस्य सूक्तस्य अम्बरीषस्सिन्धुद्वीपः त्वाष्ट्रः त्रिशिरा आपो गायत्री । द्वे अनुष्टुभौ । पञ्चमी वर्धमाना । सप्तमी प्रतिष्ठा । आपो हि ष्ठेति । हि यस्मात् कारणात् हे आपः या यूयं मयोभुवः सुखस्य भावयित्र्यो भवथ ताः तादृशा यूयं नः अस्मान् ऊर्जे अन्नाय दधातन धत्त, अन्नप्राप्तियोग्यान् कुरुत ॥ उपसंहारः ___ भूर्भुवः स्वः पुरुष तर्पयामि । द्विराचम्य । कालाग्निरुद्रोपनिषद्विधिना त्रिपुण्ड्धारणं कुर्यात् ॥ प्रतिपाद्यविषयः No. 631 कोशे द्रष्टव्यः. वक्तव्यविशेषः No. 631 कोशे दृश्यमानग्रन्थ एवात्र कोशे क्रमव्यत्यासेन लिखितस्ततो न्यूनश्च दृश्यते । एतच भाष्यं विद्यारण्यकृतमित्यस्मिन् कोशे पत्राञ्चलेषु निर्दिष्टं दृश्यते ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830