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धर्म-सूत्र
धर्म सर्वश्रेष्ठ मङ्गल है। ( कौन-सा धर्म ?) अहिंसा, संयम और तप ।
जिस मनुष्य का मन उक्त धर्म में सदा संलग्न रहता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं।
(२) . अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह-इन । पांच महावतों को स्वीकार करके बुद्धिमान मनुष्य जिन-द्वारा उपदिष्ट धर्म का आचरण करे ।
छोटे-बड़े किसी भी प्राणी की हिंसा न करना; अदत्त ( बिना दी हुई वस्तु) न लेना, विश्वासघाती असत्य न बोलना-यह अात्मनिग्रही सत्पुरुषों का धर्म है।
(४) जरा और मरण के वेगवाले प्रवाह में बहते हुए जीवों के लिये धर्म ही एक-मात्र द्वीप, प्रतिष्ठा, गति, और उत्तम शरण है।
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