Book Title: Mahavira Vani
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Bharat Jain Mahamandal
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[ १८० ]
पद्यका अंक १३७
३०९
२४३
८९ १३९
०
०
२०७
११४
२६८
१६७
६७
पद्यका आदिवाक्य पद्यका अंक | पद्यका आदिवाक्य आणाऽनिदेसकरे
एमेव रूवम्मि आणानिदेसकरे ७५ | एयाइं मयाई आयरिए उवज्झाए ३१२
एयाओ पंच आयारमट्ठा २४५
एवमावजोणीसु आहच्च
एविन्दियत्था य आहारमिच्छे
एवं खु नाणिणो इइ इत्तरियम्मि
एवं गुणसमाउत्ता इमं सरीरं
एवं च दोसं इरियाभासेसणा-- २४२ एवं धम्मस्स इह जीवियं १९२ उड्ढं अहे य
एवं भवसंसारे उदउल्लं बीय
एस धम्मे धुवे उवउझिय मित्त-- १२६ एसा पवयण-- उवलेवो होइ
१५७
कम्मसंगेहि उवसमेण हणे १४५ कम्माणं तु उवहिम्मि
२७६ कम्मुणा एगया खत्तियो
कलहडमर-- एगमेगे खलु ३०३ । कसिणं पि
०
०
एवं धम्म
0
५७
२४४
९०
२६७
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