Book Title: Mahavira Vani
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 215
________________ [१८४ ] २६ पद्यका आदिवाक्य पद्यका अंक | पद्यका आदिवाक्य पद्यका अंक दाराणि सुया १६८ न जाइमत्ते २७९ दिळं मियं न तस्स जाई ३०६ दिव्व-माणुस- २६१ न तस्स दुक्खं दुक्खं हयं १३३ । न तं अरी २१८ दुज्जए ५४ । न परं वइजासि २७८ दुप्परिचया १६४ | न य पावपरिक्खेवी ७८ दुमपत्तए ११२ | न य वुग्गहियं २७२ दुल्लहे खलु ११५ । न रूवलावण्णदेव-दाणव न लवेज धण-धन न वा लभेजा धम्मलद्धं न वि मुंडिएण २६५ धम्मो अहम्मो न सो परिग्गहो धम्मो मङ्गल नाणस्स सव्वस्स धम्म पि हु १२१ नाणस्सावरणिजं २३३ धीरस्स पस्स १९६ नाणेणं जाणइ २३० न कम्मुणा २१० नाणं च दंसणं २२६,२३१ न कामभोगा १४० नामकम्म २३४ न चित्ता . १७७ । नासीले ५६ __२४ ५८ २०५ ७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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