Book Title: Mahavira Vani
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 219
________________ शुद्धिपत्रक मूल गाथामें और हिन्दी अनुवादमें कई जगह टाइप बराबर ऊठे नहीं है तथा संख्याके अंक भी बराबर स्पष्ट छपे नहीं है तथा अनुस्वार, अक्षरके ऊपरकी मात्राएंदीर्घकी मात्रा, एकारकी मात्रा वगेरे मात्राएं-स्पष्टतया ऊठी नही हैं। २ व और ब में भी छपनेमें संकरसा हो गया है। ३ कई जगह टाइपके बाजुमें और ऊपरमें कुछ धब्बासा भी छप गया है। ४ अक्षरके ऊपरके अनुस्वार कई जगह यथास्थान नहीं छपे परंतु खिसकर छपे हैं। ५ . ऐसा शून्य भी स्पष्ट छपा नहीं है। इस प्रकार मुद्रणकी भारी त्रुटिसे वाचकलोग गभराये नहीं परंतु उस तरफ उपेक्षाभाव रखकर ग्रंथको पढें ऐसी मेरी नम्र सूचना हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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