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अस्तेनंक-सूत्र
( ३७ ) दाँत कुरेदने की सींक श्रादि तुच्छ वस्तुएँ भी बिना दिए चोरी से न लेना, (बड़ी चीजों को चोरी से लेने की तो बात ही स्या ? ) निर्दोष एवं एषणीय भोजन-पान भी दाता के यहाँ से दिया हुआ लेना, यह बड़ी दुष्कर बात है।
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