Book Title: Mahavira Vani
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 204
________________ [१७३ ] पारिभाषिक शब्दोंका अर्थ अकाम-अविवेक-अज्ञान-पूर्वक दुःखसुख आदि सहन करनेकी प्रवृत्ति या इच्छा न होने पर भी परवशतः सहन करनेकी प्रवृत्ति । अगृद्ध-अलोलुप । अचित्त-सचित्तसे उलटा-निर्जीव । अनगार-अन्+अगार, अगारघर, जिसका अमुक एक घर नहीं है अर्थात् निरंतर सविधि भ्रमण-शील साधक, साधु । साधु, संन्यासी, भिक्षु, श्रमण ये सब 'अनगार के समनार्थ है। अनुत्तर-उत्तमोत्तम । अवधि-रूपादियुक्त परोक्ष या अपरोक्ष पदार्थको मर्यादित रीतिसे जान सकनेवाला विविध प्रकारका ज्ञान । आदाननिक्षेप-किसीको किसी भी प्रकारका क्लेश न हो इस तरहका संकल्प धारण कर कोई भी पदार्थको धरना या उठाना। आस्रव-आसक्ति युक्त अच्छी या बुरी प्रवृत्ति । आहार-अशन, पान, खादिम और स्वादिम, यह चार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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