Book Title: Mahavira Vani
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Bharat Jain Mahamandal

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Page 205
________________ [१७४ ] प्रकारका भोजन, अशन--कोई भी खाद्य पदार्थका भोजन, पान---कोई भी पेय पदार्थका पीना-शरबत जल दूध आदि पीनेकी चीजोंको पीना, खादिम-फल, मेवा आदि, स्वादिम--मुखवास, लवंग, सुपारी आदि । इंगित-शारीरिक संकेत-नेत्र, हाथ, आदिके इशारे। ई -गमन-आगमन आदि क्रिया, ईर्या-समिति—किसीको किसी भी प्रकारका क्लेश न हो ऐसे संकल्पसे सावधानी पूर्वक चलना-फिरना आदि सब क्रियाओंका करना। उच्चार-समिति-शौचक्रिया या लघुशंका अर्थात् किसी भी प्रकारका शारीरिक मल, मलका मानी उच्चार, मलको ऐसे स्थानमें छोडना जहाँ किसीको लेश भी कष्ट न हो और जहाँ कोई भी आता-जाता न हो और देख भी न सके इसका नाम उच्चार-समिति है। उन्भेइमलोण-उभेदिम-लवण-समुद्रके पानीसे बना हुआ सहज नमक । ऊनोदरी-भूखसे कुछ कम खाना-उदरको ऊन रखना-- पूरा न भरना । एषणा-निर्दोष वस्त्र, पात्र और खानपानकी शोध करना, निर्दोषका मानी हिंसा, असत्य आदि दोषोंसे रहित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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