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: १६ : लोकतत्त्व-सूत्र
(२२३) धर्म, अधर्म, आकाश, काल, पुद्गल और जीव-ये छह द्रव्य है। केवलदर्शन के धर्ता जिन भगवानों ने इन सबको लोक कहा है।
(२२४) धर्मद्रव्य का लक्षण गति है; अधर्मद्रव्य का लक्षण स्थिति है; सब पदार्थों को अवकाश देना-आकाश का लक्षण है।
(२२५) काल का लक्षण वर्तना है, और उपयोग जीव का लक्षण है। जीवात्मा ज्ञान से, दर्शन से, सुख से, तथा दुख से जाना-पहचाना जाता है।
(२२६) अतएव शन, दर्शन, चारित्र्य, तप, वीर्य और उपयोग-ये सब जीव के लक्षण हैं।
(२२७). शब्द, अन्धकार, उजाला, प्रभा, छाया, आतप (धूप), वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श'-ये सब पुद्गल के लक्षण हैं।
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