Book Title: Madhya Asia aur Punjab me Jain Dharm Author(s): Hiralal Duggad Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir DelhiPage 21
________________ (16). १२४ २०१ २०७ १५० विषय १० सं० | विषय पृ० सं० १६. उच्चनगर (२) सिंध में जैनाचार्यों व जैन १७. तक्षशिला का विश्व विद्यालय १२८ ___ मुनियों आदि के विहार १८६ १८. काश्मीर में जैनधर्म १३१ (३) विशेष घटनायें १६३ १६. काश्मीर में शत्रुजयावतार तीर्थ १३३ ३६. पंजाब में उपकेश गच्छ में दीक्षा २०. सत्यप्रतिज्ञ अशोक-महान का समय १३५ लेने वाले प्राचार्य २१. अशोक मौर्य और कुमारपाल ३७. ईसा पर जैनधर्म का प्रभाव २०० सोलंकी की तुलना १४२ ३८. Jesus first trip to India २२. काश्मीर में जैनधर्म का ह्रास १४५ | ३६. बौद्धधर्म और पंजाब २०३ २३. सुल्तान सिकंदर लोदी बुतशिकन ४०. वैदिक धर्म और पंजाब २०४ मूर्तिभंजक) १४६ | ४१. सिंध व पंजाब में जैनधर्म के ह्रास २४. ओरंगजेब ने जबर्दस्ती मुसलमान के कारण २२६ बनाये १४८ ४२. हस्तिनापुर में जैनधर्म २५. भद्रजनपद में जैनधर्म १४६ (१) दिगम्बरों की मान्यता २१८ २६. कुवलयमाला में उद्योतन सूरि की (२) जैन मंदिर और संस्थाएं २१६ प्रशस्ति (३) दिगंबर मंदिर और संस्थाएं २२२ २७. जम्मू १५२ (४) प्राचीन और नवीन २८. त्रिगर्त (जालंधर-कांगड़ा क्षेत्र) १५३ हस्तिनापुर २२४ २६. काँगड़ा जिला (किला नगरकोट) १५३ (५) विशेष ज्ञातव्य २२६ ३०. कांगड़ा १५६ ३१. काँगड़ा जिला व आसपास का क्षेत्र १६७ ४३. पंजाब में कतिपय नगरों का जैन (१) किले का प्रांगण इतिहास २२७ (२) काँगड़ा नगर के स्मारक १७० (१) सामाना २२७ (२) जीरा नगर २३२ (३) ज्वालामुखी में जैनप्रतिमा १७२ (३) लाहौर २३५ (४) की रग्राम (वैजनाथ-पपरोला) मल्तान २३६ का जैन मंदिर १७३ (५) पंजाब का सूबा सरहद्दी २४१ (५) नूरपुर किले में जैन मंदिर १७३ (६) गुजरांवाला २४४ (६) रियासत गुलेर में जैन मंदिरों (७) सिरहंद के मग्नावशेष (5) सिरसा २५२ ३२. ढोलबाहा जिला होश्यारपुर ४४. पंजाब के कतिपय नगर जहाँ जैनी प्राबाद रहे हैं। ३३. नगरकोटिया गच्छ और कोठीपुरा | ४५ पंजाब में बसने वाले जैनों के गोत्र २५३ गच्छ ३४. पंजौर (चंडीगढ़ के निकट) ४६ पंजाब से प्राप्त पुरातत्त्व सामग्री २५४ ३५. सिंधु-सौवीर में जैनधर्म अध्याय ३ जैनधर्म और शासक (१) सिंधु-सौवीर का राजा । १. मौर्य साम्राज्य और जैनधर्म २५७ उदायण व महारानी (१) यूनानी सिकंदर का पंजाब प्रभावती १८१/ _पर आक्रमण २५० १७४ १७६ १७७ २५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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