Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 372
________________ धातुरूपम् भाषार्थः अपकरोति - अपकार ( बुराई ) करता है । परिष्करोति - शोधता है । 1 ग्रह - उपादानेगृह्णाति - लेता है श्रनुगृह्णाति - कृपा करता है । प्रतिगृह्णाति - -दान लेता है । विगृह्णाति - लड़ता है । निगृह्णाति - दगड देता है । बन्ध-बन्ध बध्नाति बाँधता है। सम्बध्नाति -,, - -- परिशिष्टम् लाकृतिः - 'लू' का स्वरूप । अथवा 'लू' के समान टेढ़ी प्रकृतिवाले बाँके बिहारी भगवान् श्रीकृष्ण । | ( एवं वितौ) गौर्यागच्छति - गौरी ाती है । कुर्विदम् - यह करो । मात्राज्ञा - माता की आज्ञा । धातुरूपम् उद्बध्नाति - फाँसी देता है । निर्बंध्नाति श्राग्रह करता है । भाषार्थः मत्र - गुप्तभाषणे - मन्त्रयते - सलाह करता है । निमन्त्रयते-न्योता देता है ! लघुकौमुदीस्थ-प्रयोगसंग्रहो भाषार्थसहितः, तत्राच्सन्धिप्रकरणम् प्रयोगाः भाषार्थ प्रयोगाः भाषार्थः नायक:- नेता -प्रधान । पावकः - पवित्रकर्ता अग्नि । सूत्राङ्काः २१ सुद्ध्युपास्यः - विद्वानों के उपासनीय भगवान् मध्वरिः-'मधु' दैत्य के शत्रु- भगवान् | धात्त्रंशः ब्रह्मा का अंश । ( एवं वितौ ) यति - ले जाता है । भवति होता है । वटवृक्षः - वटो ! हे ब्रह्मचारिन ! ऋक्षः- रीछ है । ग्लायति दुःखी होता है । नाविकः - केवट - मल्लाह । ग्रामन्त्रयते- -बुलाता है । श्रभिमन्त्रयते - संस्कार करता है । अर्थ-उपयाच्ञायाम्अर्थयते - माँगता है । अभ्यर्थयते - प्रार्थना करता है प्रार्थयते - प्रार्थना करता है । 1 - भावुकः- भावनावान् - सहृदय । गव्यम् - गोविकार - गोदुग्ध, गोघृत, गोदधि, गोमूत्र, गोवर आदि । लाकार:- 'लू' का श्राकार । सूत्राङ्काः २३ हरये (नमः) - पापहारी (हरि) भगवान् नाभ्यम् - नोका से तरने योग्य जल सूत्राङ्काः २४ ३५.१. प्रति (नमस्कार ) | गव्यूतिः-दो कोस । विष्णुवे-व्यापक भगवान् के प्रति (नमः) 1 उपेन्द्रः इन्द्र के छोटे भाई वामन भगवान्

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