Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 413
________________ स०६५७ ३१२ लघुसिद्धान्तकोमुखाम् प्रयागाः भाषार्थः प्रयोगाः भाषार्थः स. ६६१ अहोरात्रः-दिन रात । कुक्कुटमयूरों--कुक्कुट और मयूरी । सर्वरात्रः-सारी रात । पञ्चकपालः-पाँच कपालों में संस्कार संख्यातरात्र:-गिनी हुई रात। किया हुआ। द्विरात्रम्-दो सतें। स०६६२ त्रिरात्रम्-तीन रातें। प्राप्तजीविकः--प्राप्तजीविक । सू० १५८ | अापन्नजीविकः-प्राप्तजीविक । परमराजा-महाराज। अलङकुमारिः कुमारी के योग्य । स०६५६ . सू०६६३ महाराजः-महाराज। अर्धर्चम्--ऋचा का अर्धभाग। महाजातीयः-महान । मृदु--पचति-सुन्दर पकाता है। स. १६० | प्रातः कमनीयम्-सुन्दर प्रातःकाल । द्वादश-बारह (१२)। इति तत्पुरुषः। अष्टाविंशतिः-अठाईस (२८)। अथ बहुव्रीहिः स० ६६७ | रूपवद्भार्य-जिसकी भार्या रूपवती है । कएठेकाल:-नीलकठ। वामोरूभायः--जिसकी भार्या सुन्दरोरू है। प्राप्तोदकः-जल जिसे प्राप्त है ऐसा ग्राम ।। स० ६६६ ऊढरथः--रथ में जुड़ा हुआ बैल । कल्याणोपञ्चमाः-जिनमें पाँचवीं कल्याणउपहृतपशुः--पशु जिसको भेंट किया गया है ह कारिणी है। उदधतौदना--भात जिसमें से निकाल स्त्रीप्रमाण:-जिसकी प्यारी कल्याणलिया गया है। कारिणी है। पीताम्बरः--पीले वस्त्रोंवाला। वीरपुरुषकः-जिसमें वीर पुरुष रहते हैं । स० ६७० प्रपर्णः-गिरा हुआ पत्ता। दीर्घसक्थः-लम्बे ऊरुवाला। अपुत्रः-पुत्रहीन । जलजाक्षी-कमलनयना। सू०६६८ दीर्घसक्थिः-लम्बे धुरे वाला (छकड़ा)। चित्रगुः--चित्रित गौओंवाला, (भगवान्)। स्थूलाक्षा-मोटी आँखोंवाली (लाठी)।

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