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परिशिष्टम्
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प्रयोगाः भाषार्थः प्रयोगाः
भाषार्थः सू० १०८०
स० १०६१ मध्यमः-मध्य में होनेवाला। दन्त्यम्-दाँतों में होनेवाला। स० १०८१
कराव्यम्-कण्ठ में होनेवाला। कालिकम-समय पर होनेवाला । आध्यात्मिकम्-आत्मा में होनेवाला । मासिकम्-मास में होनेवाला।
सू० १०६२ सांवत्सरिकम्-वर्ष में होनेवाला। आधिदैविकम्-देवों में होनेवाला। सायम्प्रातिकः-सायं प्रातः होनेवाला। आधिभौतिकम्-भूतों में , । पौनापुनिकम्-बार बार होनेवाला। ऐहलौकिकम्-इस लोक में ,, । स० १०८२
पारलौकिकम्-परलोक में , । प्रावृषेण्यः–वषा ऋतु में होनेवाला ।
सू. १०६३ . सू०१०८३
जिह्वामूलीयम्-जिह्वामूल में होनेवाला । सायन्तनम्-शाम को होनेवाला। अङ्गुलीयम्-अंगूठी। चिरन्तनम्-पुराना।
स० १०६४ प्राहेतनम्-पूर्वाहकालिक।
कवर्गीयम्-कवर्ग में होनेवाला। प्रगेतनम्-प्रातःकालिक।
स० १०६५ दोषातनम्-रात में होनेवाला। स्रोप्नः-सुघ्न से पाया। सू०१०८४
स० १०६६ सौनः-सघ्न देश में होनेवाला। शौल्कशालिक:-चुङ्गीखाने से प्राप्त । श्रौत्सः-निझर में पैदा हुआ।
सू० १०६७ राष्ट्रियः-राष्ट्र में ,,
औपाध्यायक:-उपाध्याय से प्राप्त । स० १०८५
पैतामहकः-पितामह से प्राप्त । प्रावृषिकः-वर्षा काल में होनेवाला ।
सू०१०६८ सू१०८६
समरूप्यम्-सम से आगत । सौधनः-सुघ्न में प्रायोभव। समीयम्-सम से , । सू० १०८८
विषमीयम-विषम से भागत। कौशेयम्-रेशमी वस्त्र।
देवदत्तरूप्यम्-देवदत्त से प्रागत सू० १०६०
देवदत्तम्-देवदत्त से भागत। दिश्यम्-दिशा में होनेवाला।
स०.२०१६ वर्यम-वर्ग में ,
सममयम्-सम से प्रागत।