Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 418
________________ परिष्टिम् ३६७ पाठी । प्रयोगाः भाषार्थः प्रयोगाः भाषार्थः सू० १०४६ स०१०४६ यौवनम्-युवतिसमूह। साक्तुकम्-सतुओं का समूह । हास्तिकम्-हस्तिसमूह। सू० १०४७ धैनुकम्-गोसमूह । ग्रामता-ग्रामसमूह । सू० १०५१ जनता-जनसमूह। वैयाकरणः-व्याकरणवेत्ता या व्याकरणबन्धुता-बन्धुसमूह । गजता-हाथीसमूह। स० १०५२ सहायता-सहायसमूह । क्रमक:-क्रमपाठी। अहीनः-कई दिनों में होने वाला यज्ञ पदक:-पदपाठी ।। (सुत्याक)। | मीमांसकः-मीमांसापाठी । अथ चातुरर्थिकाः सू० १०५३ कलिजा:-कलिङ्गों का निवास देश । औदुम्बर:-जिस देश में गूलर के पेड़ हों। सू० १०५१ सू० १०५४ वरणाः-वरणा नदी के समीप होने वाला कौशाम्बी-कुशाम्ब की बसाई नगरी। सू० १०६१ स० १०५५ कुमुद्वान्-कुमुद जिस देश में हों। शैव-शिबियों का निवास । नड्वान्-नड़े जिस देश में हों। स० १०५६ सू० १०६२ वैदिशम्-विदिशानगरी के समीप । वेतस्वान्-वेतस (बत )-प्रधान देश । स० १०५८ स० १०६३ पञ्चाला:-पाञ्चाल जाति का निवास देश | नड्वलः-नडप्राय देश । कुरवः-कुरुओं का निवासदेश । शादलः-घास बहुल देश । प्रजा:-अङ्गों का , " सू०. १०६४ वना:-वों का , " शिखावलः-शिखावान्-मयूर । अथ शैषिकाः सू० १०६५ औपनिषदः-उपनिषद् वर्णित (आत्मा)। चातुषम्-चतुर्णाह्य । दार्षदाः-पत्थर पर पीसे हुए। भावणः-श्रोत्रग्राह्य । चातुरम्-चार बैलों के ले जाने योग्य ।

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