Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 421
________________ ४०० लघुसिद्धान्तकौमुद्याम् प्रयोगाः भाषार्थः । प्रयोगः भाषार्थः देवदत्तमयम्-देवदत्त से आगत । सू० ११०० | शारीरकीयः-शारीरसम्बन्धि या आत्माहैमवती-हिमालय से प्रकाशित होने सम्बन्धि वर्णन करनेवाला ग्रन्थ । वाली (गङ्गा)। सू० ११०४ । स्रौनः-सुघ्न देशवासी। सू० ११०१ स० ११०५ सौनः सघ्न को जाननेवाला मार्ग या पाणिनीयम-पाणिनि से प्रोक्त व्याकरण । मनुष्य, सुघ्न की तरह निकलने सू० ११०६ वालाद्वार। औपगवम्-उपगु को (धनादि)। अथ विकारार्थकाः सू० ११०७ । मौद्गः-मूंग की दाल । आश्मः-पत्थर का बना हुआ। सू० १११० भास्मनः-भस्मविकार। आम्रमयम्-आमका अवयव या विकार । मार्तिकः-मिट्टी का विकार। शरमयम्-शरविकार। स० ११०८ कार्पासम्-कपास का विकार । मायूरः-मोर का अङ्ग या विकार । सू० ११११ मौर्वम्-मूर्वा का नाल या भस्म । गोमयम्-गोबर। पैप्पलम्-पिप्पली-विकार। सू० १११२ स० ११०६ गव्यम्-गोविकार । अश्ममयम्-पत्थर का अवयव या विकार पयस्यम्-पयोविकार, दूधसे बना खोया आश्मनम्- " " " खीर आदि। अथ ठगधिकारः सू० १११४ आक्षिकः-पासों से खेलनेवाला। हास्तिकः-हाथी सवार। दाधिकम्-दही से संस्कार किया हुआ। सू० १११८ सू० १११५ दाधिकः-दही से खानेवाला। मारीचिकम्-मिरचों से संस्कृत किया हुआ । दाधिकम्- दही से मिला हुश्रा । स० १११६ स० १११६ प्रौद्यपिकः-उडुप से तैरनेवाला। . बादरिकः-बेर चुननेवाला ।

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