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लघुसिद्धान्तकौमुद्याम् प्रयोगाः भाषार्थः । प्रयोगः भाषार्थः देवदत्तमयम्-देवदत्त से आगत ।
सू० ११०० | शारीरकीयः-शारीरसम्बन्धि या आत्माहैमवती-हिमालय से प्रकाशित होने सम्बन्धि वर्णन करनेवाला ग्रन्थ । वाली (गङ्गा)।
सू० ११०४
। स्रौनः-सुघ्न देशवासी। सू० ११०१
स० ११०५ सौनः सघ्न को जाननेवाला मार्ग या पाणिनीयम-पाणिनि से प्रोक्त व्याकरण । मनुष्य, सुघ्न की तरह निकलने
सू० ११०६ वालाद्वार।
औपगवम्-उपगु को (धनादि)। अथ विकारार्थकाः सू० ११०७
। मौद्गः-मूंग की दाल । आश्मः-पत्थर का बना हुआ।
सू० १११० भास्मनः-भस्मविकार।
आम्रमयम्-आमका अवयव या विकार । मार्तिकः-मिट्टी का विकार।
शरमयम्-शरविकार। स० ११०८
कार्पासम्-कपास का विकार । मायूरः-मोर का अङ्ग या विकार ।
सू० ११११ मौर्वम्-मूर्वा का नाल या भस्म ।
गोमयम्-गोबर। पैप्पलम्-पिप्पली-विकार।
सू० १११२ स० ११०६
गव्यम्-गोविकार । अश्ममयम्-पत्थर का अवयव या विकार पयस्यम्-पयोविकार, दूधसे बना खोया आश्मनम्- " " "
खीर आदि।
अथ ठगधिकारः सू० १११४ आक्षिकः-पासों से खेलनेवाला। हास्तिकः-हाथी सवार। दाधिकम्-दही से संस्कार किया हुआ।
सू० १११८ सू० १११५ दाधिकः-दही से खानेवाला। मारीचिकम्-मिरचों से संस्कृत किया हुआ । दाधिकम्- दही से मिला हुश्रा । स० १११६
स० १११६ प्रौद्यपिकः-उडुप से तैरनेवाला। . बादरिकः-बेर चुननेवाला ।