Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 428
________________ ४.७ भाषार्थः परिशिष्टम् अथ स्वार्थिकाः प्रयोगा भाषार्थः प्रयोगाः सू० १२३४ पार्श्वतः-एक ओर से। अश्वकः-घोडे की मूर्ति । स्वरतः स्वर से। अश्वकः-घोड़ा। वर्णत: वर्ण से। सू १२३५ स० १२३६ अनमयम्-तैयार किया अन । कृष्णीकरोति-काला करता है। अपूपमयम्-तैयार किये पूए। ब्रह्मीभवति-ब्रह्मा बनता है। अनमयः-अन्नप्रचुर ( यज)। गंगीस्यात्-गंगा बन जाये। अपूपमयम्-अपूपप्रचुर ( पर्व )। दोषाभुतम्-रात बना हुश्रा ( दिन)। स० १२३३ दिवाभूता-दिन बनी हुई (रात)। प्राश:-बुद्धिमान् । अग्निसाद्भवति-जलता है। प्राशी-बुद्धिमती। सू० १२४१ देवतः-देवता। दघि सिञ्चति--दही सींचता है। बान्धवः-बन्धु । सू. १२४२ सू० १२३७ अग्नीभवति-अग्नि हो रहा है। बहुश:-बहुत । स. १२४३ अल्पश:-थोड़ा। पटपटाकरोति-पट पट करता है। श्रादित:-श्रादि में। ईषत्करोति--थोड़ा करता है। मध्यतः-मध्य में। भत्करोति-श्रत् ऐसा शब्द करता है। अन्ततः-अन्त में। खरटखरटाकरोति-खरट-खरट करता है। पृष्ठतः-पीछे में। पतिरिकरोति-पटत् ऐसा शब्द करता है। अथ स्त्रीप्रत्ययाः स० १२४५ बाला-लड़की। अजा-बकरी या प्रकृति। वत्स.-बछड़ी या प्यारी। एड़का-मेड़। होड़ा-बाला, भिल्ल स्त्री। अश्वा-घोड़ी। चटका-चिड़ी। मन्दा-अप्रौढा स्त्री। मूषिका-घूही। विलाता-नवयौवना स्त्री।

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