Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 429
________________ ४०८ प्रयोगाः गंगा-गंगा । सर्वा - सब (स्त्री) सू० १२४६ भवती - श्राप ( श्रीमती जी ) । भवन्ती-- होती हुई । पचन्ती -- पकाती हुई । दीव्यन्ती--खेलती हुई । सू० १२४७ कुरुचरी - कुरु देश में घूमनेवाली । नदी - नदी । देवी- देवी । सौपर्णेयी- सुपर्णी की कन्या गरुड़ की बहन । ऐन्द्री - पूर्वदिशा । श्रौत्सी - उत्सगोत्रोत्पन्ना | करुद्वयसी - तलाई ऊरुदघ्नी- ऊरुमात्री- पञ्चतयी- पाँच वाली श्राक्षिकी-- पासों से खेलनेवाली । ( ऊरुप्रमारणजलवाली) "" लावणिकी - नमक बेचनेवाली । यादृशी --जैसी । तलुनी - लघुसिद्धान्तकौमुद्याम् भाषार्थः प्रयोगाः "" इत्वरी - गमनशीला (कुलटा ) । स्त्रेणो- स्त्रीसन्तति । " "" "" पौंस्नी - पुरुषसन्तति । शाक्तीकी - शक्तिशस्त्रवाली । श्राव्य करणी - धनी बनाने की रीति । तरुणी-युवती । "" सू० १२४६ गार्गी - गर्ग गोत्र में पैदा हुई । सू० १२५१ गार्ग्यायणी --गर्ग गोत्र में पैदा हुई । नर्तकी नटी | गौरी - पार्वती । डी-गो । वाही- गौ । कुमारी कन्या । सू० १२५३ त्रिलोकी-तीन लोक | सू० १२५२ भाषार्थः त्रिफला -- हरड़, बहेड़ा और आमला । अनीका सेना | स० १२५४ एता, एनी - चितकबरी । रोहिता- लाल रंग की - (धोती) । रोहिणी --नक्षत्र विशेष | सू० ० १२५५ मृद्वी, मृदु: -- कोमल (लता आदि ) । सू० १२५६ बहु, बही --- - बहुत (चपलता आदि ) । सर्विका - सब ! रात्रिः, रात्री --रात । शकटी, शकटि:- गाड़ी | गोपी-गोपी । गोपालिका - गोपी । अश्वपालिका - घोड़े पालनेवाले की स्त्री । सू० १२५८

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