Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 412
________________ प्रयोगाः भाषार्थः स० ६३१ राजपुरुषः - राजा का पुरुष । सु० ६३२ पूर्वकायः - शरीर का समभाग । परकाय:- शरीरका पिछला भाग । पूर्वश्छात्राणाम् - छात्रों में प्रथम । सू० ६३३ पिप्पली - पिप्पली का आधा भाग । सू० ६३४ अक्षशौण्डः - पासे खेलने में चतुर । सू० ६३५ पूर्वेषुकामशमी - पूर्व कामशमीग्राम | दिशा में होनेवाला परिशिष्टम् सप्तर्षयः- सात ऋषि । उत्तरा वृक्षाः - उत्तर की ओर स्थित वृक्ष । पञ्च ब्राह्मणाः - पाँच ब्राह्मण | [० ६३८ सू० पौर्वशालः - पूर्वदिशा की शाला में होने वाला । सू० ६३६ पञ्चगवधनः- पाँच गोएँ जिसका धन है । सू० ६४३ पञ्चगवम्-पाँच गौएँ । I सू० ० ६४४ नीलोत्पलम् - नील कमल । कृष्णसर्पः- काला साँप | रामो जामदग्न्यः - जमदग्निके पुत्र परशुराम स० ६४५ वनश्याम :- मेघ के समान श्याम । भाषार्थः प्रयोगाः शाकपार्थिवः - शाकप्रिय राजा । देवब्राह्मणः–देवपूजक ब्राह्मण 1 सू० ६४७ अब्राह्मणः - ब्राह्मणेतर । सू० ६४८ अनश्वः - अश्वेत । नैकधा - अनेक प्रकार 1 सू० ६४६ कुपुरुषः - निन्दित मनुष्य । सू० ६५० ऊरीकृत्य - स्वीकार करके । शुक्लीकृत्य - सफेद करके । पटपटाकृत्य - पट पट ऐसा शब्द करके । सुपुरुषः - भला पुरुष । प्राचार्य:- प्रधान आचार्य ३६१ सू० ६५२ तिमालः - माला को अतिक्रमण करने वाला । अवकोकिलः-कोकिलाओं से कूजित (देश) पर्यध्ययनः - पढ़ने से उदास । निष्कौशाम्बिः - कौशाम्बी से निकला हुआ सू० ६५४ कुम्भकारः - कुम्हार । व्याघ्री - व्याघ्री । अश्वक्रीत - घोड़ा देकर खरीदी हुई घोड़ी कच्छपी - कछवी । सू० ६५५ द्वयङ्गुलम् - दो अँगुली भर । निरङ्गुलम् - अगुलियों से निकला हुआ।

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