Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd
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घातन
३७०
लघुसिद्धान्तकौमुद्याम् अय्ययानि मापार्थः अव्यानि भाषार्थः सू० ३७०
वाचा-वाणी। कृत्या-फरके।
निशा-रात्री। उदेतो:-उदय होकर ।
दिशा-दिशा। विसपः-जाकर। सू०३७१
वगाहः-स्नान । अघिहर-हरि में
पिवा नम्--टकना। इति अव्ययप्रकरणम् ।
अथ धातुपाठः भ्वादिगणस्थधातुपाठः भाषार्थः | धातवः
भाषार्थः सूत्राङ्काः ३७४
स०४६४ भू-( सत्तायाम् )-होना।
व्रज-(गतौ)-जाना। सू० ४४२
स०४६५ श्रत-(सातत्यगमने)-निरन्तरगमन ।
कटे-('वर्षावरणयोः) बरसना और ढकना सू० ४४७
- सू० ४६६ पिध-( गत्याम् )-जाना।
गुयू-(रक्षणे)-पालन करना। स०४५३
सू ४७८ चिती-( संज्ञाने)-चेतना।
ति-(क्षिये )नाश होना। शुष-(शोके)-शोक करना।
सू०४८४ गद-( व्यक्तायां वाचि )-स्पष्ट बोलना । तप-( सन्तापे )-तपना । स० ४५७
क्रम-(पादविक्षेपे)-पाँव धरना, जाना । णद (अव्यक्ते शब्दे )-नाद करना । __ सू०४८६
(अस्पष्ट बोलना) पा- ( पाने )-पीना। सू०४६१
स० ४६२ टुनदि (समृद्धौ )-समृद्ध होना। ग्लै-( हर्षक्षये )-अप्रसन्नता । स०४६३
सू०४६५ अच-+ पूजायाम-पूजा करना। ह-(कौटिल्ये )-कुटिलता !
१-वर्ष-खण्ड ( हिस्सा ) जैसे-भारतवर्ष ।
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