Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 399
________________ ३७८ धातवः भाषार्थः लघुसिद्धान्तकौमुद्या अथ यङ्लुगन्तप्रक्रिया धातवः सू० ७१६ बोभवीति - - बार बार व अधिक होता है । अथ नामधातुप्रकरणम् सू० ७२२ पुत्रीयति - अपना पुत्र चाहता है । सू० ७२३ राजीयति - अपना राजा चाहता है वाच्यति - अपनी वाणी चाहता है । गीर्यति-अपनी वाणी चाहता है । पूर्यति - अपनी नगरी चाहता है । दिव्यति - अपने लिये स्वर्गं चाहता है । सू० ७२४ समिध्यति-अपने लिये समिधायें चाहता है । सू० ७३० कण्डूयति--खुजलाता है । स. ७२५ पुत्रकाम्यति--अपने लिये पुत्र चाहता है । ७२६ विष्णूयति - ( ब्राह्मण को ) विष्णु के समान मानता है । स्वति - अपने समान मानता है । सू० ७३१ व्यतिलुनीते -- अन्य के योग्य काटता है ० ७२७ स० राजानति-- राजा के समान मानता है । पथीर्नाति - मार्ग के समान मानता है । कष्टायते इति नामधातवः । अथ कण्डवादयः भाषार्थः Do सू० ०७२८ - पाप पर उतारू होता है । कहता है। सू०७२६ शब्दायते -- शब्द करता है । घटयति--घड़ा बनाता है या घट को अथाऽऽत्मनेपदप्रक्रिया सू० ० ७३३ निविशते - प्रवेश होता है । सू० ७३२ व्यतिगच्छन्ति अन्य के योग्य गमन करते हैं । व्यतिघ्नन्ति - अन्य के योग्य हनन करते हैं । । अवक्रीणीते- खरीदता है । स० ७३४ परिक्रौगीते - खरीदता है । विक्रीणीते-बेचता है ।

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