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धातवः
भाषार्थः
लघुसिद्धान्तकौमुद्या
अथ यङ्लुगन्तप्रक्रिया
धातवः
सू० ७१६
बोभवीति - - बार बार व अधिक होता है ।
अथ नामधातुप्रकरणम्
सू० ७२२
पुत्रीयति - अपना पुत्र चाहता है ।
सू० ७२३
राजीयति - अपना राजा चाहता है वाच्यति - अपनी वाणी चाहता है । गीर्यति-अपनी वाणी चाहता है । पूर्यति - अपनी नगरी चाहता है । दिव्यति - अपने लिये स्वर्गं चाहता है ।
सू० ७२४
समिध्यति-अपने लिये समिधायें चाहता है ।
सू० ७३०
कण्डूयति--खुजलाता है ।
स. ७२५ पुत्रकाम्यति--अपने लिये पुत्र चाहता है ।
७२६
विष्णूयति - ( ब्राह्मण को ) विष्णु के समान मानता है ।
स्वति - अपने समान मानता है ।
सू० ७३१ व्यतिलुनीते -- अन्य के योग्य काटता है
० ७२७
स० राजानति-- राजा के समान मानता है । पथीर्नाति - मार्ग के समान मानता है ।
कष्टायते
इति नामधातवः । अथ कण्डवादयः
भाषार्थः
Do
सू० ०७२८
- पाप पर उतारू होता है ।
कहता है।
सू०७२६ शब्दायते -- शब्द करता है । घटयति--घड़ा बनाता है या घट को
अथाऽऽत्मनेपदप्रक्रिया
सू० ० ७३३ निविशते - प्रवेश होता है ।
सू० ७३२
व्यतिगच्छन्ति अन्य के योग्य गमन
करते हैं ।
व्यतिघ्नन्ति - अन्य के योग्य हनन करते हैं । । अवक्रीणीते- खरीदता है ।
स० ७३४
परिक्रौगीते - खरीदता है । विक्रीणीते-बेचता है ।