Book Title: Laghu Siddhant Kaumudi Part 01
Author(s): Vishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
Publisher: Motilal Banrassidas Pvt Ltd

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Page 405
________________ ३८४ प्रयोगः सृ० ८२४ भावित :- भावित । भावितवान् भावना किया । दृढः -दृढ । हिवम्-हित | दत्तः - दिया । चक्राण: सू० ० ८२५ - करनेवाला । विदन् - विद्वान् सू० ८२६ } सू० ८२७ करिष्यन्तम् करिष्यमाणम् सू० ८२६ जगन्वानू - जानेवाला | सू० ८३१ पचन्तं ( चैत्र पश्य ) - पकाते को देख | सू० ८३० सू० ८३२ पचमानम् - पकाते हुये चैत्र को देख । सन् द्विजः - श्रेष्ठ ब्राह्मण । स० ८३३ विद्वान् सू० ८३५ कर्त्ता - करनेवाला | लघुसिद्धान्तकौमुद्याम् भाषार्थः प्रयोगः सू० ८३७ हुए चैत्र भविष्य में करनेवाले को (देख) | सू० ८३६ बल्पाक:- अविकभाषी । भिक्षाकः - भिक्षु | कुट्टाकः -कूटने वाला । लुण्टाक:- लुटेरा | वराकः - दीन । वराकी - डीन (स्त्री) । सू० ८४० चिकीर्षुः- करने की इच्छा वाला । श्राशंसु - आशा रखनेवाला । भिक्षुः-- याचक | १० ८४१ सू० विभ्राट् अधिक शोभावान् । भाः - कान्ति ? सू० ८४२ ध:--भार ( धुरा ) । विधत्--विजली । बल वा तेज । ज पू:- पुरी नगरी । जूः-रोगी । ग्रावस्तुन् -- पत्थर के गुण वर्णन करनेवाला वाक्--वाणी । सू० ८४३ भाषार्थः | दात्रम् - दात्री | प्राट् - प्रश्नकारी । श्रायत तूः - श्रायत को स्तुति करनेवाला कटप्र ू :- लक्ष्मी' | सू०८४४

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