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भाषार्थः
रणीय हैं। शम्भू राजते-भगवान् मान् हैं । एवं (वित्रतौ )
प्रयोगाः
सू० ११२
पुना रमते - फिर खेलता है ।
हरी रम्यः - भगवान् हरि ( परम ) रम
नीरस: - रसरहित ( शुष्क ) सहृदय ! ली-चाटता है ।
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शम्भु प्रकाश- एषोऽत्र- यह (घट) यहाँ ( है ) ।
जर्घाः - तुमने भार बार ग्रहण किया । प्राता रमते - प्रातः काल खेलता है । तृदः - हिंसित |
वृढ: - उद्यत, तैय्यार हुआ ।
सू० ११३
मनोरथ: - इच्छा |
स ० ११४ एष विष्णुः- ये भगवान् विष्णु हैं । स. शम्भुः - वे भगवान् शम्भु हैं । ( एवं विवृतौ ) एष शोभते - यह शोभायमान है । एष ददाति - यह पुरुष देता है । स चलति - वह चलता है ।
प्रयोगाः
रामः - भगवान् श्रीराम |
परिशिष्टम्
भाषार्थः
सू० १२४
सू० १५० कृष्णः - भगवान् श्रीकृष्ण ।
भाषार्थः
प्रयोगाः सच और वह |
एषको रुद्रः–ये भगवान् रुद्र हैं ।
सः शिवः (यह ) शिव वह नहीं अर्थातऔर ही हैं ।
( एवं विवृतौ ) एषोऽहम् - मैं यह हूँ । सऽहम् -मैं वह हूँ ।
सू० ११४ सेमामविद्वि प्रभृतिम् - ( जो श्राप इसको देने में समर्थ हैं ) वह आप हमें यह (प्रभु-. तिम् ) प्रकृ धारणा प्राप्त करावें ।
सैष दाशरथी रामः--ये वे भगवान् दशरथ नन्दन श्रीराम हैं ।
३५६
( एवं विवृतौ )
सैष राजा युधिष्ठिरः ये वे राजा युधि -
हैं ।
सैघ कणों महादानी - ये वे महादाश्री
कर्ण हैं |
सैष भीमो महाबलः - ये वे महाबली भीम हैं ।
इति विसर्गसन्धिः
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प्रथाजन्तपुल्लिङ्ग गम्
प्रयोगाः
सर्वः - सब |
भाषार्थः
सू० १५१
सू० १५५ विश्वः सत्र, तुल्य, संसार ।