Book Title: Laghu Nayachakrama Author(s): Devsen Acharya, Vinod Jain, Anil Jain Publisher: Pannalal Jain Granthamala View full book textPage 7
________________ विषयानुक्रमणिका पृष्ठ 1-7 8-12 13 - 15 मंगलाचरण नय की परिभाषा, उपयोगितादि नयों के भेद उपनयों के भेद द्रव्यार्थिक व पर्यायार्थिक नयों का स्वरूप द्रव्यार्थिक 10 नयों का स्वरूप पर्यायार्थिक 6 नयों का स्वरूप नैगमादि 7 नयों का स्वरूप सद्भूत व्यवहार नय का स्वरूप असद्भूत व्यवहार नय का लक्षण एवं 9 भेदों का स्वरूप व्यवहार सर्वथा असत् नहीं उपचरित असद्भूत व्यवहार नय का स्वरूप व भेद कथंचित् व्यवहार नय की गौणता नयसिद्ध योगी ही आत्मानुभवी चारित्र और उसकी प्राप्ति के लिए भावनाएं नयचक्र की रचना का हेतु नयचक्र की उपयोगिता 45 - 50 50 - 53 54 54 - 55 55 - 58 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66