Book Title: Kundakundadeva Acharya
Author(s): M B Patil, Yashpal Jain, Bhartesh Patil
Publisher: Digambar Jain Trust

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Page 5
________________ प्रकाशकीयः श्री दिगंबर जैन ट्रस्ट बेंगलोर यह संस्था कर्नाटक प्रांत में जैन साहित्य के क्षेत्र में १९८२ से कार्यरत है। इस संस्था का मूल उद्देश्य आचार्य श्री कुंदकुंददेव के सभी शास्त्र कन्नड़ भाषा में छपाने का रहा। इस उद्देश्य में यह संस्था शत प्रतिशत सफल सिद्ध हुई है, यह जानकारी देते हुए हमें विशेष आनंद होता है। इस संस्था ने समयसार पंचास्तिकाय, प्रवचनसार, नियमसार, अष्टपाहुड प्रों को सर्वोत्तम छपाई, उत्कृष्ट कागज और मजबूत बायडिंग के साथ वाचकों के कर कमलों में पहुंचाया छहढाला ग्रंथ के कन्नड़ पद्यानुवाद तथा कन्नड टीका के साथ चार संस्करण छप चुके । केवल पद्यानुवाद भी अलग रीति से छपा है। उसकी कैसेट भी तैयार की है। समयसार आदि का भी कन्नड़ पद्यानुवाद की कैसेट बनाने की योजना है। डॉ. योगेश जैन द्वारा संकलित/संपादित कुंदकुंद सुक्तिसुधा का कन्नड़ संस्करण और भव्यामृतके संस्करण निकल चुके। इन ग्रंथों को छोड़कर पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामीजी के भक्तामर (तीन संस्करण) और समाधिशतक प्रवचन भी समाज में बहुत प्रिय रहे। कुंदकुंद शतक शुद्धात्मशतक क्रमबद्ध पर्याय, आप कुछ भी कहो. इत्यादि डॉ. हुकुमचंद भारिल्लजी लिखित साहित्य भी कन्नड़ अनुवाद के साथ छपाया है। ___ आचार्य कुंदकुंद द्विसहस्राब्दि निमित्त हमने आचार्य कुंदकुंददेव मराठी में छापकर मराठी भाषा भाषी लोगों की सेवा भी प्रारम्भ किया है।

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