Book Title: Khartargaccha Sahitya Kosh
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 18
________________ (दृढ़ निश्चयी दानवीर श्री कपूरचन्दजी श्रीमाल ) धार्मिक और सामाजिक कार्यों में सर्वदा अग्रगामी रहने वाले श्री कपूरचन्दजी श्रीमाल का जन्म २७ मई १८९९ में दिल्ली में हुआ था। आपके पिताजी का शुभ नाम खूबचन्दजी झाड़चूर था और माताश्री का हीराबाई। वंश इनका श्रीमाल था और गोत्र था झाडचूर । आपके चार भाई और थे। बड़े थे - श्री फूलचन्दजी, छोटे थे - श्री कस्तूरचन्दजी, श्री केसरीचन्दजी और श्री पूनमचन्दजी। आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती सोहनबाई था। केवल मैट्रिक तक शिक्षार्जन किया था। व्यवसाय हेतु रिक्तहस्त हैदराबाद गये थे। वहाँ अत्यधिक परिश्रम कर समृद्धिवान बने। इनका व्यक्तित्व विराट था। खरतरगच्छ के सुदृढ़ स्तम्भ थे। धार्मिक कार्यों में सदा अग्रगण्य रहते थे। सामाजिक सेवा के कार्यों में भी पीछे नहीं हटते थे। वकील न होते हुए भी कानूनी दाव-पेचों के सिद्धहस्त जानकार थे।सभी समुदायों के प्रति समान आदर-भाव रखते थे, किन्तु अपनी गच्छ की क्रिया के प्रति दृढनिश्चयी थे। श्रीखरतरगच्छ संघ और जिनदत्तसूरि सेवा संघ केलगभग ८-१० वर्षों तक अध्यक्ष रहे। श्री कुलपाक तीर्थ की व्यवस्था समिति के सन् १९७५ तक उपाध्यक्ष और तत्पश्चात् मृत्यु पर्यन्त अध्यक्ष पद पर रहे। आपकी अध्यक्षता काल में ही कुलपाक तीर्थ का विशाल प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न हुआ था। जैन श्वेताम्बर मंदिर, चार कमान (हैदराबाद) के लगभग ४० वर्षों तक आप अध्यक्ष रहे। इस मंदिर की व्यवस्था में आमूल-चूल परिर्वतन का श्रेय आप ही को जाता है। श्री अजितनाथ पार्श्वनाथ मंदिर सुल्तान बाजार, हैदराबाद के मंदिर का जीर्णेद्धार भी आप ही के सतत प्रयत्नों एवं आर्थिक सहायता से सम्पन्न हुआ था। हैदराबाद संघ के तो आप धर्मप्राण ही थे। आपके दृढ़निश्चय के कारण ही भगवान् अजितनाथ के मंदिर में केवल चन्दन से ही पूजा होती है, केसर और वर्क नहीं चढ़ाए जाते । यह परम्परा आज भी चालू है। आपके सुकृत कार्यकलापों की सूची इस प्रकार है: कुलपाक तीर्थ की दादाबाड़ी के निर्माण हेतु ११,००,०००, जैन दादाबाड़ी बुलडाना के निर्माण हेतु ११,००,०००, चार कमानस्थ जैन मंदिर के पृथक् उपाश्रय हेतु ५,००,०००, सिकन्दराबाद जैन दादाबाड़ी के लिए ६,००,०००, विपश्यना केन्द्र हेतु २,००,०००, और रायचूर जैन मंदिर के लिए १,११,००० दान स्वरूप प्रदान किये थे। दान सूची तो विस्तृत है किन्तु यहाँ विशिष्ट का ही उल्लेख किया गया है। धार्मिक कार्यों के लिए सुल्तान बाजार में ही सन् १९९३ में २५,००,००० के मूल्य का भवन क्रय किया जिसमें सन् १९६४ से नियमित रूप से आयम्बिल खाता चलता है। रोगियों की सेवा-शुश्रूषा के लिए ५००० से १०,००० रु० मासिक प्रदान करते थे। अपनी धर्मपत्नी सोहनबाई की स्मृति में पालीताणा में जतन स्वर्ण विचक्षण भवन में एक भव्य हॉल बनवाया था। सेठ आनंदजी कल्याणजी पेढ़ी, अहमदाबाद के आप प्रतिनिधि रहे, हैदराबाद स्टॉक एक्सचेंज के संस्थापक और अध्यक्ष भी रहे । हैदराबाद नगर के सर्वश्रेष्ठ दलाल भी थे।९८ वर्ष की विशिष्ट आयु में २३ अक्टूबर १९९६ को हैदराबाद में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके दो पुत्र और दो पुत्रियाँ थीं। बड़े पुत्र सिताबचन्दजी और छोटे पुत्र विजयचन्दजी। दोनों पुत्रियों के नाम है- श्रीमती राजबाई चौपड़ा और श्रीमती कंवरबाई सुराणा। सिताबचन्दजी के दो पुत्र विद्यमान हैं - श्री प्रकाशचन्दजी इस समय भी हैदराबाद शेयर बाजार के अध्यक्ष पद पर है। श्री प्रसन्नचन्दजी, अमेरिका विश्वविद्यालय में भी रहे और वर्तमान में Indina Institute of Management, Banglore कॉलेज में प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं। इन दोनों भाईयों का समृद्ध परिवार भी धार्मिक एवं मानव सेवा कार्यों में सक्रिय भाग लेता है। % % %, carc e rational Swaminelibrarya

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